आलसी चुहा

 आलसी चुहा







हुत समय पहले, एक छोटे से गाँव में एक खुशहाल चूहा रहता था। वह बहुत ही आलसी चूहा था, वह रोज खाना खाने के बाद सोता था और उसका कोई खास काम नहीं करता था।

एक दिन, उस आलसी चूहे अपने गाँव के सारे चूहे को बुलाया और कहा, “मेरे प्यारे दोस्तों, हमारे बीच एक बड़ा उत्सव मनाने का समय आ गया है।”

चूहों ने उस आलसी चूहे की बात मानी और सभी ने उत्सव के लिए तैयारी की। सभी चूहे ने उनके बड़े गाँव की सभी छोटी-बड़ी चीजें लाने का फैसला किया।

उत्सव का दिन आया और सभी चूहे सभी सामग्रियों के साथ उत्सव के मैदान में पहुँचे। उनके पास खाना-पीना, गाने बजाने की सभी चीजें थीं। सभी उस उत्सव को लेकर बहुत ही खुश थे ये पहली बार था जब अलसी चूहे ने कोई उत्सव रखा था जिससे सभी बहुत खुश थे।

चूहों ने उत्सव मनाने में बहुत ही मजा किया, गाने गाए और नृत्य किया। इस दौरान, एक बुजुर्ग चूहा ने सभी से कहा, “बच्चों, हम सभी ने उत्सव मनाया, लेकिन अब हमें अपने कर्तव्यों की ओर देखना चाहिए। हमें यह सोचना चाहिए कि हमारे गाँव का संस्कृति और परंपराएं हमारे लिए कितनी महत्त्वपूर्ण हैं।”

हमें अपने कर्तव्य में कभी भी आलस्य नहीं करना चाहिए और हमेशा कड़ी मेहनत करके अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए।

चूहों ने उस बुजुर्ग चूहे की बातों को सुना और सभी ने मिलकर गाँव की सफाई की, घरों को सजाया और उसे नया आकर्षण दिया। उस दिन से आलसी चूहे ने कभी भी आलसी नहीं होने का निश्चय किया और अपने जीवन को सफल बनाने का निश्चय किया और हमेशा के लिए आलस्य त्याग दिया।

उस दिन से, वे हर उत्सव के साथ साफ-सुथरे रहने का निर्णय लिया। उन्होंने समझा कि सच्ची खुशी और उत्सव का असली मतलब अपने कर्तव्यों को निभाना होता है।

इस बात से आलसी चूहे ने सिखा कि उत्सव सिर्फ आनंद और मस्ती ही नहीं होता, बल्कि उसमें गाँव की बदलती सोच और साझेदारी का भी महत्त्व होता है।

सीख - हमें सबके साथ मिलकर मिल जुलकर रहना चाहिए और अपने कर्तव्यों को सही से निभाना चाहिए। और हमें कभी भी आलसी नहीं होना चाहिए और हमेशा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

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